''मेरे कन्हैया''
नटखट था बचपन,
जवानी थी संजीदा!
 सब कुछ संभाला,
सब कुछ संभाला,
चाहे कितना पेचीदा!
लग्न राधा जैसी,
अगर उससे लगा लो!
कुछ नहीं नामुमकिन,
जो चाहो तुम पा लो!
सबकी वो बिन माँगे,
खाली झोली भरता!
सुखों का वोह दाता,
दुखों को है हरता!
दुखियारे भक्तों की, 
पार करो तुम नैया!
ओ मेरे साँवरिया, 
ओ मेरे कन्हैया!! .

 
 
 
 
          
      
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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